बच कर रहें इस वास्तु दोष से, बना रहेगा चोरी व धन हानि का भय!
दक्षिण-पूर्व दिशा के स्वामी भगवान गणेश तथा प्रतिनिधि शुक्र ग्रह हैं। भूखंड की आग्नेय दिशा में मार्ग हो तो भवन आग्नेय मुखी अर्थात आग्नेयाभिमुख होता है। ऐसे भूखंड पर भवन निर्माण करते समय इन वास्तु सिद्धांतों का पालन करें : * आग्नेय दिशा वायव्य (पश्चिम-उत्तर) और ईशान (उत्तर-पूर्व) से नीचा नहीं होना चाहिए जबकि नैत्रत्य (पश्चिम-दक्षिण) से नीचा होना चाहिए। आग्नेय नैत्रत्य से ऊंचा नहीं होना चाहिए, जबकि ईशान व वायव्य से ऊंचा होना चाहिए। * आग्नेय दिशा में रसोई घर बनाना शुभ व सुखदायक है। * ईशान में उत्तर की ओर सैप्टिक टैंक बनाना शुभ है। इसी प्रकार ईशान दिशा में पूर्व कोण में कुआं बनाना शुभ है। * आग्नेय दिशा को पूर्णत: बंद न करें। ऐसा करने से विकास रुक जाता है और दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। * आग्नेय दिशा में अग्नि संबंधी कार्य करने पर स्वास्थ्य ठीक रहता है और हर प्रकार से शुभ फल मिलते हैं। * मुख्य द्वार नैत्रत्य में न बनाएं। ऐसा करने से चोरी व धन हानि का भय रहेगा। * आग्नेय दिशा में कुआं, बोरिंग आदि जल संबंधी कार्य न करवाएं। ऐसा करने से स्त्री तथा संतान को कष्ट होता है। * आ